मिडिल क्लास अब साइबर अपराधियों का मुख्य टारगेट बन चुका है क्योंकि ये तकनीक का उपयोग तो करता है, लेकिन सुरक्षा जानकारी सीमित होती है।
ठगी के तरीके पहले से ज़्यादा चतुर और वास्तविक लगने वाले हो गए हैं — जैसे वर्क फ्रॉम होम जॉब्स, ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट, और बैंक KYC कॉल्स।
बचाव का उपाय है डिजिटल सावधानी — हर कॉल, लिंक, और ऑफर को जांचना और शेयरिंग से पहले दो बार सोचना।
पढ़े-लिखे युवा, खासकर वर्क फ्रॉम होम या फ्रीलांसिंग करने वाले, आज सबसे ज़्यादा निशाने पर हैं।
साइबर अपराधी जॉब ऑफर, गूगल फॉर्म्स, और फर्जी वेबसाइट्स का सहारा लेकर इनसे पैसे और डेटा दोनों हड़प लेते हैं।
शिक्षित होना अब काफी नहीं — डिजिटल साक्षरता और साइबर सतर्कता ज़रूरी है।
CBI या ED बनकर की जाने वाली धमकी भरी कॉल्स — “डिजिटल अरेस्ट” — अब आम हो गई हैं।
व्हाट्सएप/टेलीग्राम पर शेयर टिप्स भेजकर लाखों की इन्वेस्टमेंट फ्रॉड किए जा रहे हैं।
स्कैम टोकन, फर्जी NFT और ट्रेडिंग स्क्रीनशॉट्स से झांसे में लिया जाता है।
असली हकीकत: कोई भी सरकारी संस्था कॉल पर पैसे नहीं मांगती।
साइबर ठग अब तकनीक से ज्यादा साइकोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं — डर, लालच और जल्दबाज़ी।
नई रणनीतियों में शामिल हैं – भरोसेमंद दिखने वाले लिंक, KYC अपडेट का बहाना, और शेयर मार्केट या क्रिप्टो के नाम पर ठगी।
उनका लक्ष्य है: पैसा, पहचान, और डेटा।
समाधान: सोच-समझ कर क्लिक करें, फ़ोन पर निर्णय न लें, और जानकारी साझा करने से पहले पुष्टि करें।
भारत में रोज़ाना लगभग ₹60 करोड़ की ठगी सिर्फ डिजिटल माध्यमों से की जा रही है — ये एक खतरनाक आँकड़ा है।
अपराध अब केवल बैंकिंग तक सीमित नहीं, बल्कि सोशल मीडिया, गेमिंग, ऐप्स और इंश्योरेंस स्कीम तक फैल गया है।
यह केवल एक आर्थिक अपराध नहीं — ये मानसिक और सामाजिक युद्ध भी है।
सरकार, प्लेटफॉर्म्स और यूज़र्स को मिलकर तेज़ प्रतिक्रिया और मजबूत रिपोर्टिंग सिस्टम बनाना होगा।
नियम 1: OTP, पासवर्ड या पर्सनल डिटेल्स कभी किसी से साझा न करें — चाहे वह कोई भी दावा करे।
नियम 2: WhatsApp या Telegram पर मिलने वाले निवेश सुझावों को बिना जांचे न मानें।
नियम 3: डिजिटल अरेस्ट जैसी धमकियों से घबराएं नहीं — भारत में ऐसा कोई कानून नहीं।
नियम 4: National Cyber Crime Portal पर हर ठगी की शिकायत जरूर करें।
सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है।
वर्क फ्रॉम होम स्कैम: रजिस्ट्रेशन के नाम पर पैसे लेना, फिर ग़ायब हो जाना।
डिजिटल अरेस्ट: आपको वीडियो कॉल करके डराया जाता है कि आप किसी अपराध में फंसे हैं।
सोशल इंजीनियरिंग: अपराधी आपकी भावनाओं को निशाना बनाते हैं, जैसे डर, भरोसा या जल्दबाज़ी।
ये स्कैम आपकी पहचान, डेटा और पैसे — तीनों को लूट सकते हैं।
साइबर अपराधी रोज़ नए तरीके खोजते हैं, लेकिन आपकी सतर्कता उन सबका सबसे मजबूत जवाब है।
सरकारी चेतावनियाँ, डिजिटल साक्षरता प्रोग्राम और सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता फैलाई जा रही है।
समय है कि हम केवल यूज़र न बनें — डिजिटल नागरिक बनें, जो अपने अधिकार और सुरक्षा दोनों को समझता है।
याद रखें: अगर कुछ बहुत अच्छा लग रहा है, तो शायद वो फर्जी है।
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