डिजिटल शक्ति अब केवल तकनीक नहीं, एक रणनीतिक संसाधन बन गई है, जिससे भारत वैश्विक स्तर पर अपनी सुरक्षा, विकास और नेतृत्व क्षमता को पुनर्परिभाषित कर रहा है।
स्वदेशी तकनीक जैसे भारत नेट, डीआईजीआई लॉकर, भीम और यूपीआई ने नागरिकों को अधिकार सम्पन्न और सेवाओं को पारदर्शी बनाया है।
डिजिटल साक्षरता और ग्रामीण इंटरनेट पहुंच ने गाँव-गाँव को राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ा है।
राष्ट्रीय डेटा केंद्र, साइबर सुरक्षात्मक फ्रेमवर्क और आत्मनिर्भर सॉफ्टवेयर संरचना से अब भारत अपनी डिजिटल संप्रभुता की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
AI-संचालित निगरानी सिस्टम, क्वांटम डिक्रिप्शन लैब्स और 5G सुरक्षा प्रोटोकॉल भारत की साइबर परिधि को अभेद्य बना रहे हैं।
CERT-In, NCIIPC और NTRO जैसे संगठनों की सक्रियता से डिजिटल आक्रमणों के विरुद्ध तत्काल प्रतिक्रिया सुनिश्चित हो रही है।
डार्क वेब मॉनिटरिंग, एन्क्रिप्टेड चैनल एनालिसिस, और डिजिटल फॉरेंसिक लैब्स अब पूर्णतः स्वदेशी स्तर पर संचालित हैं।
मेक इन इंडिया डिफेंस टेक्नोलॉजी के माध्यम से भारत की साइबर प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह आत्मनिर्भर बन रही है।
विकसित भारत @2047 विजन के तहत, तकनीक भारत के रणनीतिक और सामाजिक दोनों विकास की धुरी बन गई है।
डेटा संप्रभुता कानून, राष्ट्रीय डिजिटल विश्वविद्यालय, और इंडिया एआई मिशन से एक नई डिजिटल पीढ़ी का निर्माण हो रहा है।
भारत अब केवल टेक्नोलॉजी का उपभोक्ता नहीं, बल्कि निर्माता, निर्यातक और नीति-निर्माता बन रहा है।
साइबर सुरक्षा, AI, स्टार्टअप इकोसिस्टम और डिजिटल हेल्थ जैसे क्षेत्रों में भारत दुनिया का अगुवा बनकर उभर रहा है।
साइबर स्पेस आज की नई रणभूमि है, जहाँ भारत अपने ज्ञान, तकनीक और दूरदर्शिता से अग्रिम मोर्चे पर है।
आधार, कोविन, डीजी लॉकर जैसे प्लेटफॉर्म ने भारत को वैश्विक स्तर पर डिजिटल उत्कृष्टता का उदाहरण बनाया है।
डिजिटल सशक्तिकरण मिशन, डिजिटल इंडिया 2.0 और ONDC जैसे प्रयास भारत को टेक आधारित आत्मनिर्भर राष्ट्र बना रहे हैं।
स्वदेशी साइबर वॉरफेयर टूल्स, AI आधारित सिक्योरिटी इंटेलिजेंस, और एथिकल हैकिंग ट्रेनिंग प्रोग्राम अब सुरक्षा को लोकल बना रहे हैं।
भारत ने अब डार्क वेब और एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म्स पर निर्णायक कार्यवाही शुरू कर दी है – टेलीग्राम, सिग्नल और टोर जैसी संरचनाएं अब निगरानी में हैं।
AI आधारित रियल-टाइम मॉनिटरिंग, सेंट्रल इंटेलिजेंस ग्रिड, और प्रत्यर्पण संधियों के ज़रिए वैश्विक आतंकवाद पर शिकंजा कस रहा है।
क्वांटम कम्प्यूटिंग और डिक्रिप्शन प्रयोगशालाओं से भारत अब भविष्य की तकनीकों में भी अग्रणी बन रहा है।
इंटर-एजेंसी समन्वय, डेटा सुरक्षा विधेयक, और साइबर पुलिसिंग की नई व्यवस्था से भारत का डिजिटल सुरक्षा कवच पहले से कहीं अधिक मजबूत हो चुका है।
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