APK फाइलें असल में एंड्रॉइड फोन पर किसी भी ऐप को इंस्टॉल करने का पैकेज होती हैं। लेकिन ठग इन्हें नकली बनाकर भेजते हैं। ये फाइलें देखने में असली बैंकिंग ऐप, सरकारी पोर्टल या सर्विस ऐप जैसी लगती हैं। जैसे ही कोई व्यक्ति इन्हें इंस्टॉल करता है, उसका फोन साइबर अपराधियों के कब्ज़े में चला जाता है।
भारत में लगभग 750+ मिलियन एंड्रॉइड यूज़र्स हैं, और यही वजह है कि अपराधियों के लिए यह सबसे आसान टारगेट बन चुका है। वे WhatsApp, SMS या Telegram ग्रुप्स के जरिए फर्जी लिंक भेजते हैं और अनजान लोग इन्हें क्लिक करके अपने मोबाइल में APK इंस्टॉल कर लेते हैं।
जैसे ही ये नकली ऐप इंस्टॉल होती है, यह तुरंत परमिशन मांगती है—SMS, कॉन्टैक्ट्स, नोटिफिकेशन, माइक्रोफोन, और यहां तक कि स्क्रीन शेयरिंग का भी एक्सेस। इसका नतीजा ये होता है कि:
OTP सीधे अपराधियों तक पहुंच जाता है।
बैंकिंग ऐप्स की स्क्रीन मिररिंग शुरू हो जाती है।
संवेदनशील जानकारी चोरी हो जाती है।
और धीरे-धीरे आपके बैंक खाते से पैसा म्यूल अकाउंट्स या क्रिप्टो वॉलेट में ट्रांसफर हो जाता है।
दिल्ली, हैदराबाद और महाराष्ट्र में कई मामले सामने आए हैं, जहाँ फर्जी "challan.apk", "weddinginvite.apk" और "sbi.apk" के जरिए लाखों रुपये लोगों से ठगे गए।
उदाहरण: दिल्ली पुलिस ने पाया कि जामताड़ा और मुर्शिदाबाद से चल रहे इस घोटाले ने 2500+ लोगों को करोड़ों की चपत लगाई।
इस स्कैम के तेजी से फैलने के मुख्य कारण:
अपराधियों द्वारा बार-बार वही APK नाम बदलकर इस्तेमाल करना (जैसे sbi.apk → sbibank.apk)।
इन फाइलों का वितरण डार्क वेब और Telegram चैनल्स से।
और इनका एंटीवायरस से आसानी से बच निकलना।
सोचिए—आपके ही मोबाइल से, आपके OTP से, आपके बैंक ऐप्स से—आपका पैसा निकाला जा रहा हो और आपको पता भी न चले! यही है इस मैलवेयर की असली ताकत और खतरा।
हमेशा Google Play Store से ही ऐप्स डाउनलोड करें।
किसी भी अनजान लिंक (WhatsApp/SMS) पर क्लिक न करें।
जिन ऐप्स की परमिशन संदिग्ध लगे, उन्हें तुरंत हटा दें।
किसी भी फ्रॉड का शिकार होने पर तुरंत रिपोर्ट करें:
वेबसाइट: cybercrime.gov.in
हेल्पलाइन नंबर: 1930
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