पायरेटेड सॉफ़्टवेयर में छिपे इंफोस्टीलर आपकी डिजिटल पहचान चुरा सकते हैं।
आपका ईमेल, बैंक, सोशल अकाउंट—all exposed!
सस्ता सॉफ्टवेयर नहीं, महंगी पहचान खोने का खतरा।
पायरेसी एक फंदा है, जिसमें इंफोस्टीलर का कांटा छिपा है।
फ्री का लालच, वायरस का इन्विटेशन।
सावधान रहें—बस एक क्लिक से पूरा सिस्टम संक्रमित हो सकता है।
मुफ्त डाउनलोड की असली कीमत है आपकी पर्सनल जानकारी।
ब्राउज़र पासवर्ड, क्रिप्टो वॉलेट और बैंक डेटा चोरी हो सकता है।
गोपनीयता का मूल्य पैसों से कहीं अधिक है।
फ्री सॉफ्टवेयर = वायरस का वाहक।
आपका सिस्टम, नेटवर्क और संगठन सब खतरे में।
असली कीमत तब चुकानी पड़ती है जब डेटा लीक होता है।
क्रैक्ड सॉफ्टवेयर एक जाल है, जिसमें फंसते ही डेटा उड़ जाता है।
यह ‘टूल’ नहीं, एक ट्रोजन है।
ट्रैप से बचने का एक ही उपाय—सिर्फ भरोसेमंद स्रोतों से सॉफ़्टवेयर लें।
पाकिस्तान जैसे देशों से ऑपरेट हो रहे मैलवेयर नेटवर्क पायरेटेड सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल कर रहे हैं।
Lumma, AMOS, Meta Stealer जैसे टूल्स क्रैक्ड ऐप्स में छिपे हैं।
यह सिर्फ कानून तोड़ना नहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा से खेल है।
एक क्लिक से वायरस, डेटा चोरी, नेटवर्क ब्रीच, और ID फ्रॉड हो सकता है।
पायरेटेड ऐप्स कई स्तर पर खतरे पैदा करते हैं।
आपके डिवाइस से आपकी दुनिया खुल जाती है—सावधानी जरूरी है।
असली नुक़सान सॉफ़्टवेयर का नहीं, आपके डेटा का होता है।
चोरी का सॉफ्टवेयर डेटा चुराने का ज़रिया बन चुका है।
डेटा एक बार गया, तो वापस नहीं आता।
क्रैक डाउनलोड करते ही सिस्टम क्रैश, डेटा ब्रीच, और नेटवर्क संक्रमित हो सकता है।
IT प्रोफेशनल्स और कंपनियाँ इस खतरे से सबसे ज़्यादा प्रभावित।
यह सस्ती चूक महंगी कीमत पर पड़ सकती है।
मुफ्त में मिला सॉफ्टवेयर आपकी साइबर आज़ादी छीन सकता है।
आप पर निगरानी, डेटा ट्रैकिंग और धोखाधड़ी शुरू हो सकती है।
सुरक्षित रहें—भरोसेमंद और वैध स्रोतों से ही सॉफ़्टवेयर लें।
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