यह कोई आम स्कैम नहीं, एक पूरी संगठित क्राइम इंडस्ट्री है।
कॉल सेंटर से डेटा लीक, फेक कॉल्स से OTP, और फिर क्रिप्टो के ज़रिए मनी लॉन्ड्रिंग।
दिखने में बैंकिंग—असल में साइबर ठगी का जाल।
असली बैंक कभी कॉल पर OTP या CVV नहीं मांगता।
OTP देने का मतलब है—आपने खुद फ्रॉड को पैसा सौंप दिया।
अगली बार कोई OTP मांगे—फोन काटें, रिपोर्ट करें।
अब हर सिस्टम में इनसाइडर मौजूद हैं—डेटा चोरी अंदर से होती है।
ग्राहक सतर्क नहीं होगा, तो नुकसान तय है।
बैंकिंग फ्रॉड अब गाँव-गाँव, शहर-शहर फैल चुका है।
ग्राहक की जानकारी ₹0 में लीक—और कुछ ही मिनटों में डॉलर में कन्वर्ट।
SBI क्रेडिट कार्ड स्कैम एक ग्लोबल मनी लॉन्ड्रिंग मॉडल का हिस्सा है।
एक क्लिक में आपकी मेहनत की कमाई उड़ाई जा सकती है।
ठग इतने प्रोफेशनल बन चुके हैं कि पहचानना मुश्किल।
असली भाषा, असली नाम, असली स्क्रिप्ट—लेकिन इरादा ठगी।
सोशल इंजीनियरिंग अब स्कैम का सबसे घातक हथियार है।
कॉल सेंटर से कार्ड डिटेल्स, फिर ट्रांजैक्शन और आख़िर में क्रिप्टो कन्वर्जन।
हर स्टेप पर अलग व्यक्ति, अलग भूमिका—एक संगठित रैकेट।
यह स्कैम नहीं, एक डिज़िटल इंडस्ट्री बन चुका है।
स्कैमर्स के पास CRM, डेटा एनालिटिक्स और टारगेटिंग टूल्स हैं।
दिल्ली को जानबूझकर छोड़ा गया ताकि कार्रवाई से बच सकें।
अब फ्रॉड कॉल सिर्फ आवाज़ नहीं, रणनीति बन चुकी है।
स्कैमर्स ने जांच से बचने के लिए दिल्ली को छोड़ अन्य राज्यों को निशाना बनाया।
ये अपराधी कानून से एक कदम आगे की सोचते हैं।
हर नागरिक अब इस जाल में संभावित शिकार है।
जब अंदर के लोग ही डेटा लीक करें, तो बाहरी हैकर्स की ज़रूरत नहीं।
कॉल सेंटर एजेंट, सिम डीलर और फर्जी बैंक प्रतिनिधि—सब मिलकर ठगी करते हैं।
सिस्टम का भरोसा ही सबसे बड़ी कमजोरी बन चुका है।
टेलीपरफॉर्मेंस जैसे प्रतिष्ठित नामों से डेटा लीक हुआ।
कॉल सेंटर अब ठगी का नया अड्डा बनते जा रहे हैं।
हर कॉल अब जरूरी नहीं कि मदद की हो—वो स्कैम भी हो सकती है।
Like on Facebook
Follow on Twitter
Follow on Instagram
Subscribe On YT