Facilitating Accounts: आसान पैसों का लालच या साइबर अपराध का जाल

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Facilitating Accounts: आसान पैसों का लालच या साइबर अपराध का जाल

Facilitating Accounts: आसान पैसों का लालच या साइबर अपराध की जाल

  • धोखेबाज़ अक्सर लोगों को "पैसिव इनकम" या "कमीशन" का लालच देकर उनके बैंक खाते इस्तेमाल करते हैं।

  • पीड़ित को लगता है कि बस खाता देने से उन्हें बिना मेहनत पैसे मिलेंगे।

  • हकीकत में, ये खाते साइबर अपराध की मनी-लॉन्ड्रिंग के लिए उपयोग किए जाते हैं।

  • एक बार फँस जाने पर, खाता धारक कानूनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता।


 जब आपका बैंक खाता बन जाए साइबर अपराध का हथियार

  • आपका वैध खाता, KYC सहित, अपराधियों के लिए एक “सुरक्षित टूल” बन जाता है।

  • अपराधी चोरी का पैसा आपके खाते से गुजारते हैं ताकि ट्रेस करना मुश्किल हो।

  • इस तरह आपका बैंक खाता उनकी सुरक्षा ढाल (Shield) बन जाता है।

  • नतीजा: आप अनजाने में भी जांच एजेंसियों के रडार पर आ जाते हैं।


 Facilitating Accounts अनजाने में भी आप साइबर क्राइम में फँस सकते हैं

  • कई लोग बिना जाने अपना खाता दूसरों को “जॉब” या “इन्वेस्टमेंट” के नाम पर दे देते हैं।

  • खाता धारक को लगता है कि ये सामान्य ट्रांजेक्शन हैं।

  • लेकिन कानूनी नज़र से देखा जाए, खाता देने वाला भी अपराध का हिस्सा माना जाता है।

  • “अनजाने में” भी भागीदारी, कानून में अपराध ही है।


 आसान इनकम का झांसा  साइबर अपराध की जिम्मेदारी

  • Fraudsters कहते हैं – “कुछ मत करो, बस खाता दो और हर महीने पैसे कमाओ”.

  • ऐसा झांसा, असल में आपको अपराध की जिम्मेदारी में धकेल देता है।

  • बैंक खाता साझा करने से, आप मनी म्यूल (Money Mule) कहलाते हैं।

  • कोर्ट में ये तर्क काम नहीं आता कि “मुझे पता नहीं था”।


 सिर्फ खाता साझा करना भी आपको बना सकता है अपराधी

  • धोखेबाज़ों को सिर्फ आपका खाता चाहिए, बाकी सारा काम वो करेंगे।

  • लेकिन जब पैसा धोखाधड़ी से आता है, तो जांच एजेंसी सबसे पहले खाते के मालिक तक पहुँचती है।

  • इसका मतलब, भले ही आपने खुद किसी को धोखा नहीं दिया हो, आप “साझेदार अपराधी” माने जाएंगे।

  • एक छोटा कदम, आपके लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है।


 Telegram से बैंक अकाउंट तक साइबर अपराध का नया नेटवर्क

  • Telegram और WhatsApp जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स का इस्तेमाल “खाता खरीदने” और “नए म्यूल भर्ती करने” के लिए होता है।

  • गुमनामी और आसान पहुंच के कारण अपराधी बड़ी संख्या में लोगों को जाल में फँसा लेते हैं।

  • चैनलों पर “पार्ट-टाइम जॉब – बैंक अकाउंट दो, हर महीने पैसे कमाओ” जैसी पोस्ट्स आम हैं।

  • असलियत: यह आपके खाते को साइबर अपराध की मशीन का हिस्सा बना देता है।


 आपका बैंक अकाउंट अपराधियों का छुपने का ठिकाना

  • स्कैमर्स अपने असली खातों का इस्तेमाल नहीं करते।

  • वे चोरी के पैसे आपके खाते से गुजारते हैं ताकि असली स्रोत छुपा रहे।

  • इस तरह आपका बैंक अकाउंट उनके लिए “Hideout” बन जाता है।

  • आप अनजाने में उनकी “सुरक्षा” का काम कर रहे होते हैं।


 Facilitating Accounts साइबर अपराध का छुपा हुआ इंजन

  • हर बड़े साइबर स्कैम के पीछे, मनी म्यूल खातों का नेटवर्क होता है।

  • ये खाते अपराधियों के लिए इंजन की तरह हैं, जो उनके ऑपरेशन को चलते रहने देते हैं।

  • बिना Facilitating Accounts, धोखेबाज़ चोरी का पैसा कहीं भी नहीं भेज सकते।

  • इसलिए इन्हें रोकना, साइबर अपराध की जड़ काटने जैसा है।