धोखेबाज़ अक्सर लोगों को "पैसिव इनकम" या "कमीशन" का लालच देकर उनके बैंक खाते इस्तेमाल करते हैं।
पीड़ित को लगता है कि बस खाता देने से उन्हें बिना मेहनत पैसे मिलेंगे।
हकीकत में, ये खाते साइबर अपराध की मनी-लॉन्ड्रिंग के लिए उपयोग किए जाते हैं।
एक बार फँस जाने पर, खाता धारक कानूनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता।
आपका वैध खाता, KYC सहित, अपराधियों के लिए एक “सुरक्षित टूल” बन जाता है।
अपराधी चोरी का पैसा आपके खाते से गुजारते हैं ताकि ट्रेस करना मुश्किल हो।
इस तरह आपका बैंक खाता उनकी सुरक्षा ढाल (Shield) बन जाता है।
नतीजा: आप अनजाने में भी जांच एजेंसियों के रडार पर आ जाते हैं।
कई लोग बिना जाने अपना खाता दूसरों को “जॉब” या “इन्वेस्टमेंट” के नाम पर दे देते हैं।
खाता धारक को लगता है कि ये सामान्य ट्रांजेक्शन हैं।
लेकिन कानूनी नज़र से देखा जाए, खाता देने वाला भी अपराध का हिस्सा माना जाता है।
“अनजाने में” भी भागीदारी, कानून में अपराध ही है।
Fraudsters कहते हैं – “कुछ मत करो, बस खाता दो और हर महीने पैसे कमाओ”.
ऐसा झांसा, असल में आपको अपराध की जिम्मेदारी में धकेल देता है।
बैंक खाता साझा करने से, आप मनी म्यूल (Money Mule) कहलाते हैं।
कोर्ट में ये तर्क काम नहीं आता कि “मुझे पता नहीं था”।
धोखेबाज़ों को सिर्फ आपका खाता चाहिए, बाकी सारा काम वो करेंगे।
लेकिन जब पैसा धोखाधड़ी से आता है, तो जांच एजेंसी सबसे पहले खाते के मालिक तक पहुँचती है।
इसका मतलब, भले ही आपने खुद किसी को धोखा नहीं दिया हो, आप “साझेदार अपराधी” माने जाएंगे।
एक छोटा कदम, आपके लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है।
Telegram और WhatsApp जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स का इस्तेमाल “खाता खरीदने” और “नए म्यूल भर्ती करने” के लिए होता है।
गुमनामी और आसान पहुंच के कारण अपराधी बड़ी संख्या में लोगों को जाल में फँसा लेते हैं।
चैनलों पर “पार्ट-टाइम जॉब – बैंक अकाउंट दो, हर महीने पैसे कमाओ” जैसी पोस्ट्स आम हैं।
असलियत: यह आपके खाते को साइबर अपराध की मशीन का हिस्सा बना देता है।
स्कैमर्स अपने असली खातों का इस्तेमाल नहीं करते।
वे चोरी के पैसे आपके खाते से गुजारते हैं ताकि असली स्रोत छुपा रहे।
इस तरह आपका बैंक अकाउंट उनके लिए “Hideout” बन जाता है।
आप अनजाने में उनकी “सुरक्षा” का काम कर रहे होते हैं।
हर बड़े साइबर स्कैम के पीछे, मनी म्यूल खातों का नेटवर्क होता है।
ये खाते अपराधियों के लिए इंजन की तरह हैं, जो उनके ऑपरेशन को चलते रहने देते हैं।
बिना Facilitating Accounts, धोखेबाज़ चोरी का पैसा कहीं भी नहीं भेज सकते।
इसलिए इन्हें रोकना, साइबर अपराध की जड़ काटने जैसा है।
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