AI आज ऐसी नकली पहचान बना रहा है जो असली से भी ज्यादा विश्वसनीय लगती हैं।
Deepfake तकनीक से चेहरों, आवाज़ों और भावों की हूबहू नकल की जा सकती है।
डिजिटल पहचान की प्रामाणिकता पर बड़ा संकट खड़ा हो गया है।
Generative AI से तैयार की गई phishing emails अब सामान्य नहीं रहीं — ये आपकी भाषा और प्रोफाइल से मेल खाती हैं।
कुछ हमले अब deepfake voice calls के जरिए होते हैं, जहां CEO या दोस्त की आवाज़ भी नकली हो सकती है।
Traditional phishing filters इन नए हमलों को पहचानने में असफल हो सकते हैं।
AI fraudsters अब highly personalized emails बना रहे हैं जिनमें आपके नाम, काम और यहां तक कि हालिया बातचीत का संदर्भ होता है।
ये emails इतने सटीक होते हैं कि असली और नकली में अंतर करना मुश्किल हो जाता है।
इससे कंपनियों और व्यक्तियों दोनों के लिए जोखिम बढ़ गया है।
AI हजारों लोगों के डेटा को मिलाकर एक बिल्कुल नई और असली दिखने वाली पहचान बना सकता है।
Deepfake वीडियो और फर्जी प्रोफाइल से सोशल इंजीनियरिंग हमले पहले से कहीं अधिक आसान हो गए हैं।
अब यह सवाल महत्वपूर्ण हो गया है: क्या हम जिस व्यक्ति से ऑनलाइन बात कर रहे हैं, वो वास्तव में वही है?
साइबर अपराधी चोरी हुए डेटा और AI से आपकी पहचान की नकल करके क्रेडिट कार्ड, लोन और सरकारी योजनाओं का गलत उपयोग कर सकते हैं।
यह फ्रॉड वर्षों तक पकड़ में नहीं आता और इसका पता तब चलता है जब नुकसान हो चुका होता है।
Identifiers जैसे Aadhaar, PAN, और biometrics भी अब जोखिम में हैं।
पहले जहां phishing messages आम और संदिग्ध दिखते थे, अब AI उन्हें convincing बना रहा है।
उदाहरण: बैंक या ऑफिस से आया ईमेल बिल्कुल उसी टेम्पलेट, टोन और लोगो के साथ आता है जैसे असली में होता है।
रिसीवर को शंका करने का भी मौका नहीं मिलता।
अब email भेजने वाला न केवल नाम बल्कि प्रोफाइल फोटो, कार्यप्रणाली और अंदाज़ की भी नकल कर सकता है।
सोशल मीडिया पर दिखने वाला कोई आकर्षक प्रोफाइल असल में AI से बना हुआ हो सकता है।
इसका उपयोग राजनीतिक प्रचार, ठगी या व्यक्तिगत बदनाम करने के लिए भी किया जा सकता है।
नए AI tools जैसे ChatGPT, Midjourney और DALL·E का उपयोग ठगों द्वारा branding और tone mimicry में किया जा रहा है।
ये tools इतना सटीक काम करते हैं कि fake मेल को असली समझना आसान होता है।
अब phishing सिर्फ tech-savvy को नहीं, हर किसी को निशाना बना रही है।
हमले अब एक व्यक्ति को नहीं बल्कि पूरे सिस्टम को निशाना बना रहे हैं — AI द्वारा बनाए गए agents ग्राहकों, सप्लायर्स और कर्मचारियों के रूप में सामने आ सकते हैं।
Fake job offers, investment opportunities और NGO profiles सबसे आम रूप हैं।
ये पहचानें AI से खुद को समय के साथ बेहतर भी बना रही हैं — यानी ये continuously evolve कर रही हैं।
अब cyber fraud एक coordinated campaign बन गया है जिसमें AI-बॉट्स सोशल मीडिया से डेटा इकट्ठा करते हैं, deepfakes पहचान बनाते हैं और phishing attack execute करते हैं।
यह 24/7 चलने वाला ऑपरेशन है — human hackers की जगह अब machines काम कर रही हैं।
यह नई पीढ़ी का हमला है, जहां attacker थकता नहीं — और हर घंटे और ज्यादा स्मार्ट होता जाता है।
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