डर का खेल ठगी का जाल — यही है डिजिटल गिरफ्तारी का हाल

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डर का खेल ठगी का जाल — यही है डिजिटल गिरफ्तारी का हाल

डिजिटल गिरफ़्तारी: डर का जाल, ठगी का खेल

  • स्कैमर्स मानसिक दबाव और डर का इस्तेमाल कर लोगों को झूठे आरोपों में फँसाते हैं।

  • वीडियो कॉल पर फर्जी अधिकारी बनकर गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है।

  • डरा-धमका कर लोगों से ऑनलाइन पेमेंट वसूली की जाती है — यह गिरफ़्तारी नहीं, साइबर ठगी है।

  • यह एक नया साइबर-जाल है, जिसमें कानून का मुखौटा पहनकर आम लोगों को फँसाया जा रहा है।


वीडियो कॉल पर गिरफ़्तारी? सावधान! यह स्कैम है, सिस्टम नहीं

  • कोई भी भारतीय या अंतरराष्ट्रीय कानून एजेंसी वीडियो कॉल पर गिरफ्तार नहीं करती।

  • असली गिरफ्तारी में लिखित समन, FIR और लोकल पुलिस की प्रक्रिया होती है।

  • स्कैमर्स वीडियो कॉल पर नकली अफसर, कोर्ट रूम और वारंट दिखाते हैं — ये सब एडिटेड और डीपफेक होता है।

  • यह एक मनोवैज्ञानिक हमला है, न कि कानूनी कार्रवाई।


डिजिटल गिरफ़्तारी स्कैम: एक अदृश्य अपराध, एक वास्तविक संकट

  • यह सिर्फ तकनीकी धोखा नहीं, बल्कि मानसिक शोषण का संगठित नेटवर्क है।

  • पीड़ितों को गोपनीयता के नाम पर अकेले में रखा जाता है और घंटों तक कॉल पर रोका जाता है।

  • इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय गिरोह हैं, जो भारत जैसे देशों में कमजोर साइबर अवसंरचना का लाभ उठाते हैं।

  • जब तक हम इसे एक "क्राइसिस" की तरह नहीं देखेंगे, समाधान संभव नहीं होगा।


स्कैम का नया चेहरा: डिजिटल गिरफ़्तारी की सच्चाई

  • फर्जी कॉल + डीपफेक वीडियो + नकली दस्तावेज़ = डिजिटल गिरफ्तारी स्कैम

  • स्कैमर्स आपको विश्वास दिलाते हैं कि आपके खिलाफ "FIR", "मनी लॉन्ड्रिंग", या "पॉर्नोग्राफी" का केस है।

  • डर फैलाकर पैसा ऐंठना इस स्कैम का मुख्य उद्देश्य होता है।

  • इसका समाधान है जागरूकता, मजबूत कानून, और डिजिटल साक्षरता।


कानून नहीं, जाल है ये: डिजिटल गिरफ़्तारी से रहें सतर्क

  • डिजिटल गिरफ़्तारी कानून का हिस्सा नहीं, बल्कि अपराधियों का नया “टूल” है।

  • असली पुलिस कभी भी WhatsApp या Zoom पर आरोप नहीं लगाती।

  • कानून का भय दिखाकर जो लोग पैसे मांगें, वे स्कैमर हैं—उन्हें रिपोर्ट करें, डरें नहीं।

  • सोशल मीडिया और टेलीकॉम कंपनियों को भी इसका हिस्सा बनना होगा जागरूकता फैलाने में।


डरो मत, रिपोर्ट करो — डिजिटल गिरफ़्तारी एक स्कैम है

  • डरने की नहीं, लड़ने की ज़रूरत है—1930 साइबर हेल्पलाइन पर तुरंत शिकायत करें।

  • जितनी जल्दी रिपोर्ट की जाएगी, उतना ज्यादा पैसा रिकवर होने की संभावना होती है।

  • आप अकेले नहीं हैं—हज़ारों लोग इस स्कैम का शिकार हो चुके हैं।

  • एक्शन लेकर ही इस साइबर बीमारी को रोका जा सकता है।


जब वीडियो कॉल पर हो गिरफ्तारी की धमकी, समझो स्कैम है

  • असली गिरफ्तारी में कभी भी डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल नहीं होता।

  • वीडियो कॉल पर अफसर, कोर्ट रूम, और वारंट दिखाना पूरी तरह नकली है।

  • तुरंत कॉल काटें, स्क्रीनशॉट लें और साइबर क्राइम पोर्टल या 1930 पर रिपोर्ट करें।

  • परिवार और दोस्तों को भी इस तरह के स्कैम के बारे में जागरूक करें।


₹5000 से ₹19 करोड़ तक: जब डर बन जाए ठगी का हथियार

  • यह स्कैम छोटे-छोटे मामलों से शुरू होता है, लेकिन कई लोग करोड़ों खो चुके हैं।

  • गुजरात में एक डॉक्टर ने 90 दिनों में ₹19 करोड़ गँवा दिए—सिर्फ डर और भ्रम की वजह से।

  • स्कैमर आपको “सुपरविजन में रहने”, “वीडियो रिकॉर्डिंग” या “सेफ्टी के नाम पर पेमेंट” के लिए मजबूर करते हैं।

  • यह साबित करता है कि ये सिर्फ टेक्निकल फ्रॉड नहीं, बल्कि मानव मनोविज्ञान का गहरा शोषण है।