झूठी जानकारी फैलाना अपराध है जानें भारतीय न्याय संहिता की धारा 353

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झूठी जानकारी फैलाना अपराध है जानें भारतीय न्याय संहिता की धारा 353

सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाना पड़ सकता है महंगा

  • सोशल मीडिया पर झूठी जानकारी, अफवाह या रिपोर्ट फैलाना एक आपराधिक कृत्य है।

  • इससे न केवल कानूनन सज़ा हो सकती है, बल्कि समाज में शांति भंग होने की आशंका भी रहती है।

  • भारतीय न्याय संहिता की धारा 353 के तहत ऐसे कृत्य पर जेल या जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है।


धारा 353 के तहत झूठी जानकारी पर सख्त सजा

  • यदि कोई व्यक्ति झूठा बयान, अफवाह या भड़काऊ सूचना प्रकाशित या प्रसारित करता है, तो धारा 353 के तहत उस पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

  • इसका उद्देश्य देश की सेना, सार्वजनिक व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द को सुरक्षित रखना है।

  • इस धारा के तहत तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।


फर्जी खबरों से सावधान: तीन से पांच साल तक की सजा का प्रावधान

  • अफवाह या फर्जी खबरें फैलाने पर अगर उनका असर समुदाय, धर्म या जाति के बीच वैमनस्य फैलाने वाला हो, तो तीन साल तक की जेल हो सकती है।

  • यदि यह अपराध किसी धार्मिक स्थल या सभा में किया गया हो, तो सजा बढ़कर पांच साल तक की कैद और जुर्माने तक हो सकती है।


WhatsApp पर झूठी खबर शेयर की? जेल हो सकती है!

  • WhatsApp जैसे प्लेटफॉर्म पर झूठी या भड़काऊ जानकारी फॉरवर्ड करना भी अपराध की श्रेणी में आता है।

  • अगर इससे समाज में भ्रम, डर या नफरत फैलती है, तो कानूनी कार्रवाई संभव है।

  • कानून यह मानता है कि ऐसी जानकारी को प्रसारित करना भी वैसा ही अपराध है जैसे उसे बनाना।


झूठी सूचना, अफवाह और नफरत फैलाने पर होगी सख्त कार्रवाई

  • जानबूझकर फैलाई गई झूठी सूचना जो समाज में नफरत या दुश्मनी फैलाती है, दंडनीय है।

  • ऐसे मामलों में पुलिस आईटी अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता दोनों के तहत मामला दर्ज कर सकती है।

  • इसमें तीन से पांच साल तक की जेल और जुर्माना लग सकता है।


सोशल मीडिया पर कुछ भी शेयर करने से पहले जान लें यह कानून

  • कोई भी जानकारी शेयर करने से पहले उसकी सत्यता और स्रोत की पुष्टि करना आवश्यक है।

  • बिना पुष्टि के कोई भी पोस्ट, फॉरवर्ड या कमेंट आपको अपराधी बना सकता है।

  • धारा 353 और अन्य साइबर कानून ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई का अधिकार देते हैं।


धार्मिक स्थलों पर अफवाह फैलाना: 5 साल की सजा तय

  • यदि कोई व्यक्ति किसी धार्मिक स्थल या अनुष्ठान के दौरान अफवाह या झूठी जानकारी फैलाता है, तो यह अधिक गंभीर अपराध माना जाता है।

  • इससे धार्मिक भावना को ठेस पहुंचती है और साम्प्रदायिक तनाव बढ़ता है।

  • इस स्थिति में पाँच साल तक की कठोर कैद और जुर्माना अनिवार्य है।